धनबाद :- लम्बे समय से बाघमारा के विधायक ढुलू महतो राज्य सरकार के निशाने पर हैं। यौन शोषण के मामले में पार्टी ने विधायक से खुद को किनारे कर लिया था। दल के आला नेता या मामले में बयान तक देने में गुरेज़ कर रहे थे, लेकिन आलाकमान के एक निर्देश पर पूरी पार्टी गुरूवार को ढुलू के चिटाही स्थित ‘रामराज’ में दरबार करने पहुंच गई।
दरअसल यह तब्दीली एकदिन में नहीं आई। अभी पिछले सप्ताह की बात है जेल में बन्द ढुलू महतो के बड़े भाई व विधायक प्रतिनिधि शरद महतो दिल्ली पहुंचे। वे गृहमंत्री अमित शाह से मिले। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के दो खासमखास नेता भी उनके साथ थे। आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद ही राज्य के बड़े नेता सक्रिय हुए और उनका ढुलू प्रेम जाग उठा।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले ढुलू की पत्नी सावित्री देवी ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह आरोप लगाया था कि भाजपा के लिए उनके पति ने सबकुछ किया लेकिन आज संकट के समय कोई भी नेता उनके परिवार के साथ नहीं हैं।
दरअसल हेमंत की सरकार बनते ही पुलिस ने अपना स्टैंड बदल लिया और ढुलू पर दबिश बनानी शुरू की। पुलिस के आंख फेर लेने से कोलियरी के लोडिंग पॉइंट और वे-ब्रिजों में जारी उनके गोरखधंधे चौपट हो गए और चिटाही का रुतबा गिर गया। बाज़ार में उनकी धमक और चमक खोने लगी।
दिलचस्प बात यह है कि जिस महिला ने विधायक पर यौन शोषण का आरोप लगाया है वह भाजपा की नेत्री रह चुकी है। फ़िलहाल वह कांग्रेस में हैं। भाजपा की सरकार के समय ही ढुलू के खिलाफ़ एफआईआर हुआ है। इस मामले में विधायक ने उच्च न्यायालय में ज़मानत की अर्जी लगाई है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार जाने के बाद ढुलू की स्थिति पार्टी में कमजोर पड़ गई। जिलास्तरीय संगठन से मदद के लिए भी छोटे नेताओं ने उनसे ‘बड़ी डील’ कर ली।
एकसमय ऐसा भी रहा जब जन्म और तिलकोत्सव में भी चिटाही के मैदान में सीएम का हेलीकॉप्टर उतरता रहा। बड़े नेता भी ढुलू के माध्यम से ही सीएम तक पहुंचते रहे। ढुलू उस समय पार्टी के लिए बड़े फण्ड रेज़र रहे। डीसी और एसपी को वे चुटकी में बदलवाते रहे। मनीष कुमार नामक एक डीएसपी ने विधायक से पंगा लिया तो सीएम ने एक झटके में उन्हें चलता कर दिया।बंसल एसपी को भी अंततः उनके आवास में घुटने टेकने पड़े।
विधानसभा चुनाव में अमित शाह भी चिटाही पहुंचे थे। ख़ूब तारीफ़ किये थे ढुलू की। उन्होंने कहा था चिटाही ने रामराज मंदिर बनाकर संकेत दे दिया है। अब भारत सरकार भी इसी अनुरूप अयोध्या में राममंदिर बनाएंगे। हालांकि उन्होंने ढुलू को सलाह भी दिया था टाइगर ढुलू के इमेज को सुधारो। सेवक ढुलू बनो। डॉन की तस्वीर क्यों बना रहे हो?
ढुलू ने बाबूलाल के साथ रहकर ही बाघमारा का किला फ़तह किया था। बाद में बाबूलाल को ठेंगा दिखाकर भाजपा में शामिल हो गए। अभी कुछ समय पहले जब डीसी लाइन पर ट्रेनों का परिचालन बन्द हुआ तब बाबूलाल ने भाजपा की खूब खिंचाई की थी। उन्होंने यहां तक कहा था कि कोयले की लूट के लिए रेलवे को निशाने पर लिया गया। उनका कहना था कि ढुलू भी इस सिंडीकेट में शामिल है। उन्होंने ढुलू की सम्पत्ति की जांच की मांग भी की थी। ढुलू के खिलाफ़ सीताराम भुइयां को बाघमारा में जेवीएम से खड़ा किया था। अब बाबूलाल को ही पार्टी में वज़ूद को बनाये रखने के लिए एक दबंग फंड रेज़र लीडर की ज़रूरत पड़ गयी है। इसके लिए पुरानी अदावत भूलकर ढुलू को संरक्षण देने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। दीपक प्रकाश ने राज्य में जो संगठन बनाया है उसमें बाबूलाल को जोरदार झटका लग चुका है। ऊपर से आलाकमान भी ढुलू के साथ हो लिए है, सो पूरा दल बाघमारा पहुंचने में ही भला समझा। इसी बहाने धनबाद भाजपा ग्रामीण अध्यक्ष पद बाबूलाल के चहेते को शायद मिल जाए।
राजनीति होती है ऐसी। कोई अच्छा-बुरा नहीं होता है। जो काम आवे अच्छा, न आवे तो बेकार।यही डर्टी पॉलिटिक्स है। इसे चलाने में बाहूबली भी चाहिए और फ़ंड रेज़र भी। सो राजनीति रांची से चलकर ढुलू के घर तक दस्तक दी। यह मज़बूरी है, शायद विडंबना भी।