नई दिल्ली: 14 अक्टूबर (इएमएस) अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के 38वें दिन आज मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वहां 450 से ज्यादा साल तक मौजूद मस्जिद को नहीं हटाया जा सकता. बाबर एक शासक था. उसके कामों का आज के कानून के हिसाब से फैसला नहीं हो सकता. कोर्ट को इतिहास दोबारा लिखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
स्वामी की मौजूदगी पर जताया एतरा?
सुनवाई की शुरुआत में धवन ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को वकीलों के बीच बैठा देख कर आपत्ति जताई. स्वामी ने अयोध्या में पूजा करने के अधिकार का हवाला देते हुए व्यक्तिगत रूप से याचिका दाखिल कर रखी है. अपने मामलों की खुद पैरवी करने वाले स्वामी दूसरे मामलों में भी आगे बैठते रहे हैं. राफेल मामले में अरुण शौरी भी आगे ही बैठे थे. लेकिन धवन ने कहा- यह जगह वकीलों के लिए है. कोर्ट किसी और को यह अधिकार नहीं दे सकता. 5 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर चीफ जस्टिस ने इस पर सिर्फ इतना ही कहा कि धवन की बात पर गौर किया जाएगा.
सिर्फ हमसे होते हैं सवाल
विवादित इमारत पर हमेशा से पूरी तरह मुसलमानों का कब्जा बता रहे राजीव धवन से कोर्ट ने पूछा, “आप कह चुके हैं कि बाहरी हिस्से में हिंदू राम चबूतरा, सीता रसोई वगैरह का निर्माण कर उनकी पूजा करते थे. फिर पूरी तरह आपका कब्?ा कैसे हुआ?” इस पर धवन ने कहा, “सारे सवाल हमसे ही किए जा रहे हैं. दूसरे पक्ष से कोर्ट सवाल नहीं करता.”
बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचड़? ने इस टिप्पणी अवांछित बताया. हिंदू पक्ष के वकील सी एस वैद्यनाथन ने भी इस पर एतराज जताया. इसके बाद धवन ने कहा, “पूजा करने से किसी को मालिकाना हक नहीं मिल जाता.”
5 दिसंबर 1992 की स्थिति बहाल हो
धवन ने आगे कहा, “बाबर के हुक्म पर मस्जिद बनी थी. उसने शाही ??ाने से मस्जिद के रख-रखाव के लिए अनुदान की व्यवस्था की. यह अनुदान अंग्रेजों के समय में भी जारी था. यह अपने आप में सबूत है कि मुसलमानों ने कभी मस्जिद को नहीं छोडा. इतिहास में दर्ज है कि हिंदुओं और सिखों ने वहां कई बार कब्जा करने की कोशिश की. हर बार उन्हें विफल किया गया.”
सुन्नी वक्फ बोर्ड की पैरवी कर रहे धवन ने विवादित ढांचा गिराए जाने से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग करते हुए कहा, “6 दिसंबर 1992 को इमारत गिरा दिए जाने से स्थिति नहीं बदलती. पूजा का अधिकार मांगने वाले मालिकाना हक नहीं मांग सकते. वहां 5 दिसंबर की स्थिति बहाल की जानी चाहिए.”
इतिहास नहीं बदल सकते
धवन की दलील थी कि अपने समय के शासक रहे बाबर के काम की आज कानूनी समीक्षा नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, “आप बाबर के काम का फैसला किस कानून के हिसाब से करेंगे. सुप्रीम कोर्ट दोबारा इतिहास नहीं लिख सकता. तब बाबर शासक था. समय समय पर युद्ध हुए. सम्राट अशोक ने भी युद्ध ल?े. क्या मस्?िद बनाने के चलते बाबर के शासन को अवैध कहा जाएगा?”
हिंदुओं को इस्लाम की समझ नहीं
राजीव धवन ने अयोध्या सुनवाई के दौरान औरंगजेब को सबसे उदार शासकों में से एक बताया. कहा, “हिंदुओं को इस्लामिक नियमों की सीमित समझ है. हिंदू पक्ष ने कुरान के कुछ हिस्सों को इधर-उधर से जोड़ कर मस्जिद के खिलाफ केस बनाने की कोशिश की. सच यह है कि एक बार बनी मस्जिद किसी को नहीं सौंपी जा सकती.” सीमित समझ वाले बयान का हिंदू पक्ष के वकील ने विरोध किया. ष्टछ्वढ्ढ ने कहा- धवन को असीमित समझ है.
धवन ने दावा किया कि मस्जिद कभी नहीं हटाई जा सकती. उन्होंने कहा, “खुदाई में कोई अवशेष मिलने से मस्जिद हटाई नहीं जा सकती. हिंदू इसी तरह 500 मस्जिदों के नीचे खुदाई करवाना चाहते हैं.”