झारखंड सरकार के खान निदेशक के द्वारा दिनांक 24/6 /2020 को जारी पत्र के मुताबिक भंडारण स्थल से बालू का परिवहन सिर्फ ट्रैक्टर से किया जाएगा इसके अतिरिक्त डंपर अथवा हाइवा का उपयोग नहीं किया जाएगा ।इस आदेश से पूरे राज्य के हजारों की संख्या में डंपर एवं हाईवा के मालिक चालक एवं सहचालक बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं । वे सभी भुखमरी के कगार पर आ गए हैं ।सरकार के इसी नियम के विरोध में विगत 3 दिनों से कोल्हान डंपर एवं हाईवा एसोसिएशन के द्वारा सोनारी के दोमुहानी पर आंदोलन किया जा रहा है ।आंदोलनकर्ताओं से मिलने आज सांसद विद्युत वरण महतो दोमुहानी पहुंचे एवं उनके स्थिति से अवगत हुए उनके साथ वार्ता किया. हाईवा एवं टीप्पर एसोसिएशन के द्वारा सांसद को सौंपे गए ज्ञापन में यह कहा गया कि सरकार के इस बेतुके फरमान से पूरे राज्य भर के हजारों लोग आज बेरोजगार हो गए हैं ।उनके लिए यह घातक साबित हो रहा है ।सरकार के द्वारा जारी किए गए आदेश को पूर्णतया अव्यावहारिक बताते हुए एसोसिएशन ने कहा ट्रैक्टर से इतनी लंबी दूरी तक बालू का परिवहन करना पूर्णतया अव्यावहारिक है। ट्रैक्टर से मात्र 80 से 90 सीएफटी बालों का परिवहन किया जा सकता है और वह लंबी दूरी नहीं तय कर सकती है ।एसोसिएशन ने यह भी कहा कि जिन ट्रैक्टरों को यह अनुमति दी गई है वे सभी ट्रैक्टर परिवहन करने के योग्य नहीं है ।लगभग सारे ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कृषि कार्य के लिए किया गया है ।इस प्रकार से बालू का ट्रैक्टर के द्वारा परिवहन करना पूरी तरह से विधि विरुद्ध है ।एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा की सरकार यदि बालू का अवैध परिवहन एवं उत्खनन रुकना चाहती है तो इसके लिए सरकार को चेक नाका बनाना चाहिए और चेक नाका से ही उन्हें चालान एवं परमिट निर्गत किया जाना चाहिए। एसोसिएशन के बातों को सांसद ने गौर पूर्वक सुना और कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण राज्य के युवा बेरोजगार हो गए हैं ।एक ओर पहले से ही ये लोग कोविड-19 के कारण बुरी तरह से प्रभावित है दूसरी ओर इस प्रकार की नीतियां एवं नियम इस कारोबार को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर देगी ।सांसद ने कहा कि सुदूर ग्रामों में ट्रैक्टर का उपयोग करना सार्थक है लेकिन लंबी दूरी एवं शहरी क्षेत्रों में ट्रैक्टर का उपयोग पूरी तरह से अव्यावहारिक है ।सांसद श्री महतो ने कहा कि बालू के अवैध उत्खनन एवं परिवहन के लिए बालू के स्टॉकिस्टों की समुचित तरीके से जांच होनी चाहिए और इन कार्यों के लिए वही जिम्मेवार हैं ।जहां तक रहा सवाल हाईवा एवं टिपर मालिकों का इनका संबंध सिर्फ परिवहन से है न कि उत्खनन से है ।ऐसा लगता है कि एक बार फिर सारा खेल के पीछे बालू माफियाओं का सांठगांठ का है ।यह नीति और नियम पूरी तरह से संदेह के घेरे में है। एसोसिएशन की मांगों पर सांसद ने अपनी सहमति जताते हुए सरकार से आग्रह किया है कि वे यथाशीघ्र इस पर पुनर्विचार करें ताकि सभी हाईवा मालिकों को राहत मिल सके और उनकी जीविका पूर्व की भांति सुचारू रूप से चल सके।
मुख्य रूप से सतवीर सिंह सोमू ,कंचन सिंह, अनिर्बन चक्रवर्ती, तारकेश्वर नाथ शर्मा ,रविंद्र तिवारी ,जसप्रीत सिंह ,राणा प्रताप सिंह ,रवि सिंह ,जितेंद्र सिंह, विक्रम सिंह ,आरजू ,प्रेम ,हसीब खान ,विवेक सिंह, दीपक शर्मा ,इश्तियाक आलम थे.