चाईबासा, 12 नवंबर (कार्यालय संवाददाता) : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के स्थानीय कार्यालय में कोविड फंड से खरीदारी के कथित गड़बड़झाला वाले विवाद में एक सूत्रधार जिला लेखा प्रबंधक (डिस्ट्रिक्ट एकाउंट्स मैनेजर -डैम) ने ‘व्हिसल ब्लोअरÓ का बखूबी स्वांग भरते हुए शक की सूई सिविल सर्जन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) आदि की ओर घुमाकर मजा लेने और डीलरों से कमीशन नहीं मिलने पर बवाल खड़ा करने का अच्छा खेल रचा लेकिन कहा जाता है न ऊपर वाला सब देखता है तो खुद इस ‘डैमÓ का एक ऐसा बदनुमा चेहरा सामने आया है जो हैरान करनेवाला है.
श्रीमान डैम सुजीत कुमार चौधरी लोहरदगा में गत अक्टूबर, 2019 में एक महिला सहकर्मी से छेडख़ानी और इस आरोप में गिरफ्तारी के बाद अनुबंध समाप्ति जैसी कड़ी विभागीय सजा पाने के बजाए चाईबासा जैसे और बड़े जिले में पदस्थापन का पुरस्कार प्राप्त कर इसी साल मार्च महीने में आए हैं. विवाद के मद्देनजर एक जांच में सिविल सर्जन जैसे वरीय पदाधिकारी से घंटों पूछताछ की गयी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) को पदस्थापना पर रांची भेज दिया गया लेकिन इस महाशय को यहीं बरकरार रखा गया है जबकि महिला सुरक्षा और कार्यस्थल पर छेड़छाड़ को रोकने के लिए सरकार से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक काफी सख्त रहता है. आश्चर्य है इन्हें जमानत पर जेल से छूटने के बाद लोहरदगा जैसे अपेक्षाकृत छोटे जिला से उठाकर चाईबासा जैसे बड़े जिले में उसी पद पर भेज दिया गया. यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं है कि एनएचएम जिला इकाई के अध्यक्ष एवं जिला के उपायुक्त ने विवाद की जांच के लिए एक समिति गठित की है, डीपीएम को रांची बुला लिया गया है तो फिर इस सूत्रधार को यहीं क्यों रखा है जबकि बताया जाता है कि अनेक वैसे सप्लायर एवं डीलर इनके साथ सटकर विवाद को हवा दे रहे हैं जो अभी तक खरीद में मौका नहीं पा सके हैं. खरीद के संभावित अगले गड़बड़झाला की तैयारी में सब मिलकर एनएचएम के क्रियाकलापों पर कालिख पोत रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत 22 अक्टूबर 2019 को एनएचएम लोहरदगा जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई में कार्यरत एक महिला लेखा सहायक ने उक्त ‘डैमÓ चौधरी के विरूद्ध छेड़छाड़, अश्लील हरकत एवं भद्दे कमेंट आदि करने के आरोप में लोहरदगा सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई. चौधरी उस समय वहां जिला लेखा प्रबंधक के पद पर थे. इनके विरूद्ध धारा 354 (ए), 506 एवं 509, भा.दि.वि के तहत प्राथमिकी दर्ज कर उनको गिरफ्तार कर जेल भेजा गया जहां बाद में जमानत पर रिहा हुए.
बताया जाता है कि इस घटना की जांच सेक्सुअल हराशमेंट आफ वूमन एट वर्कप्लेस एक्ट 2013 के तहत जिला समिति ने की और इन्हें दोषी पाया एवं कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की. राज्य मुख्यालय स्तर पर गठित दूसरी जांच समिति द्वारा भी जांच में पाया गया कि कार्यालय में कार्यरत अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों के साथ इनका व्यवहार अच्छा नहीं था और इनके चलते कार्यालय का कामकाज प्रभावित हो रहा था.
आश्चर्य है ऐसे आचरण वाले कर्मी पर स्वास्थ्य मिशन ने कठोर विभागीय कार्रवाई अथवा बर्खास्तगी के बजाए इनको लोहरदगा से उठाकर चाईबासा भेज दिया. यहां भी उनके कारनामे लगातार चर्चा में हैं. विभागीय प्रोटोकाल नहीं मानने, गोपनीयता भंग करने और वरीय पदाधिकारियों की अवहेलना करने जैसी हरकतें प्रकाश में आई हैं. एनएचएम के कोविड फंड से की गयी खरीदारियों को लेकर फिलहाल चाईबासा चर्चा में हैं. कतिपय सप्लायरों से साठगांठ कर पूरे मिशन के क्रियाकलाप को संदिग्ध बनाने में इनकी भी भूमिका बतायी जाती है. विदित हो कि एनएचएम के ऐसे सभी कर्मी और पदाधिकारी अनुबंध पर कार्यरत हैं और ऐसे विवादस्पद कर्मियों के साथ अनुबंध बरकरार रखना सरकार की कार्यशैली पर भी अचरज पैदा करता है जबकि मेहनतकश मजदूरों और अन्य निम्न आयवाले स्वास्थ्यकर्मियों का अनुबंध समाप्त कर सरकार उन्हें सड़कों पर धकेल रही है.
इस वर्ष 3 मार्च को तत्कालीन अभियान निदेशक, एनएचएम, रांची मुख्यालय ने इन्हें चेतावनी देते हुए चाईबासा भेजा कि भविष्य में यदि आपके विरूद्ध किसी भी प्रकार की शिकायत प्राप्त होती है तो आपका अनुबंध तत्काल प्रभाव से समाप्त करते हुए सेवामुक्त कर दिया जाएगा. चाईबासा इकाई में सहकर्मियों के साथ पूर्ववत अच्छा व्यवहार नहीं करने और सबसे बड़ी बात गत 24 सितंबर 2020 को एनएचएम के जिला अध्यक्ष एवं उपायुक्त अथवा अन्य वरीय पदाधिकारियों को लांघते हुए इन्होंने सीधे अभियान निदेशक, रांची को पत्र लिखकर विभागीय कार्य नियमावली व अनुशासन का उल्लंघन किया. यह उल्लंघन तो कम से कम निर्विवाद रूप से रिकार्डेड हो चुका है. क्या एनएचएम ऐसे दागों की सफाई कर पारदर्शिता दिखाएगा?