नई दिल्ली । ठीक 20 दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी शिनफिंग के बीच मामल्लापुरम में द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने को लेकर जो सहमति बनी थी वह अब हवा होती दिख रही है। और इसके पीछे कश्मीर सबसे बड़ी वजह के तौर पर सामने आया है। गुरुवार को कश्मीर मुद्दे पर दोनो देशों के बीच जबरदस्त तल्खी भरी बयानबाजी हुई है। चीन ने जहां कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसले को पूरी तरह से गैरकानूनी करार दिया है तो भारत ने चीन के इस बयान के एक सिरे से खारिज कर दिया है। भारत ने इसे अपना आतंरिक मामला बताते हुए चीन को यह याद भी दिलाया है कि उसने कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है और पाकिस्तान के साथ मिल कर कश्मीर के एक हिस्से पर सड़क निर्माण कर रहा है।
दोनों देशोंं मेंं बढ़ रही तल्खी
कश्मीर पर चीन के विदेश मंत्रालय का बयान उस दिन आया है जिस दिन यह प्रदेश नई प्रशासनिक इकाई के तौर पर भारत सरकार के अधीन आ गया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि, ”जम्मू व कश्मीर के विभाजन व उसके हिस्से को केंद्र सरकार के अधीन लेने का फैसला पूरी तरह से गैरकानूनी है। भारत ने इस फैसले से चीन के एक हिस्से को अपने में मिलाने का काम किया है और इससे चीन की संप्रभुता को चुनौती दी गई है। चीन इसकी भ?र्त्सना करता है। भारत ने जिस तरह से यह कदम उठाया है उसका हम कड़ा विरोध करते हैं। भारत का यह कदम इस सच्चाई को नहीं बदल सकता कि वह हिस्सा चीन के नियंत्रण वाला है। चीन भारत से आग्रह करता है कि वह इस फैसले को तुरंत बदले और इस इलाके में शांति स्थापित करने के लिए पूर्व में किये गये संधियों का पालन करे ताकि सीमा विवाद का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान हो सके।”
रवीश कुमार ने दिया करारा जवाब
इसके कुछ ही घंटे बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इसी भाषा में जवाब दिया। कुमार ने कहा कि, ”चीन इस बारे में भारत की स्थाई नीति से भली भांति परिचित है। जम्मू व कश्मीर व लद्दाख के इलाके को लेकर भारत का फैसला पूरी तरह से आतंरिक है। इन मुद्दों पर हम चीन या किसी भी दूसरे देश की तरफ से टिप्पणी की उम्मीद नहीं करते हैं। भारत भी दूसरे देशों के आंतरिक मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करता है। वैसे चीन भी जम्मू व कश्मीर के एक बड़े इलाके पर कब्जा किये हुए है। साथ ही 1963 में किये गये चीन पाकिस्तान सीमा समझौते के तहत चीन ने भारत के एक हिस्से को भी गैर कानूनी तरीके से अपने कब्जे में रखे हुए है। इस हिस्से को पाकिस्तान ने चीन को सौंपा है।”