*रांची,* झारखंड में सत्ता हाथ से फिसलने के बाद भाजपा पस्त दिख रही है। भाजपा विधायक दल के नेता रघुवर दास चुनाव हार चुके हैैं। बदले राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में सबकी नजर भाजपा विधायक दल के अगले नेता पर है। इस रेस में रांची के विधायक सीपी सिंह और खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा आगे बताए जाते हैैं। सीपी सिंह का राजनीतिक अनुभव नीलकंठ सिंह मुंडा से ज्यादा है। वे छठी बार लगातार जीत हासिल करने में सफल रहे हैैं। विधानसभा अध्यक्ष समेत विभिन्न अहम विभागों की जिम्मेदारी उनके कंधे पर रही है।
उधर नीलकंठ सिंह मुंडा पांचवी दफा विधायक चुने गए हैैं। उनका ट्रैक रिकार्ड भी बेहतर है। फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए इस नतीजे पर पहुंचना कठिन है कि रघुवर दास के स्थान पर किसी गैर आदिवासी को ही विधायक दल के नेता पद की कमान दी जाए या नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुकाबले के लिए आदिवासी नेता पर दांव लगाया जाए। भाजपा के एक वरीय नेता के मुताबिक विधायक दल के नेता पद पर चयन का निर्णय आलाकमान को लेना है। इसके लिए शीर्ष नेतृत्व द्वारा पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाएगी। विधायकों से मंतव्य लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
नए प्रदेश अध्यक्ष की भी तलाश
प्रदेश भाजपा को एक नए अध्यक्ष की भी तलाश है। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने इस्तीफा दे दिया है। गिलुवा पहले लोकसभा का चुनाव सिंहभूम संसदीय सीट से हारे। इसके बाद उन्हें चक्रधरपुर विधानसभा सीट से भी पराजय का सामना करना पड़ा। बदली परिस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए किसी कद्दावर नेता की तलाश है। बताया जाता है कि विधायक दल के नेता पद पर चयन के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर अंतिम निर्णय होगा। अगर विधायक दल के नेता पद की जिम्मेदारी जनजातीय समुदाय के विधायक को मिली तो प्रदेश अध्यक्ष गैर आदिवासी होगा।
*अर्जुन मुंडा की सक्रियता के मायने*
जनजातीय मामलों के केंद्रीयमंत्री अर्जुन मुंडा की सक्रियता बढ़ गई है। चर्चा है कि उन्हें प्रदेश में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि इसपर फैसला जल्द नहीं होगा। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार अभियान के क्रम में भी अर्जुन मुंडा को अहमियत मिली थी। इन सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी खूब सराहना की थी। मुंडा ने भरसक चुनाव प्रचार में भूमिका भी निभाई।