जमशेदपुर 18 मई संवाददाता : लॉकडाउन में जिला न्यायालय एवं अन्य अधीनस्थ अदालतों में कथित अव्यावहारिक कार्यप्रणाली को लेकर आज अधिवक्ताओं ने तीखा विरोध किया। उन्होंने किसी भी अधिवक्ता को कोई जमानत अर्जी फाइल नहीं करने दी। उनका कहना था कि पिछले लगभग दो माह से लॉकडाउन है जिसकारण 98 प्रतिशत अधिवक्ताओं की रोजमर्रा जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऊपर से आवश्यक मामलों में जमानत के लिए अर्जी और सुनवाई की जो प्रणाली चल रही है उससे इन अधिवक्ताओं में बहुसंख्य अभ्यस्त भी नहीं हैं और इसमें जगह-जगह पर अत्यधिक व्यवधान आ रहा है। पूर्व में अदालत परिसर में वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए सुनवाई का प्रबंध भी रोक कर मोबाइल पर सुनवाई की जा रही है जिसमें नेटवर्क की बाधा समस्या खड़ी करती है।
युवा एवं बहुसंख्य अधिवक्ताओं ने बार एसोसियेशन के अध्यक्ष के रूख-रवैये को लेकर असंतोष जताया। अध्यक्ष का जिक्र करते हुए कहा कि उनका काम हो जाता है जिससे उनको आम अधिवक्ताओं की समस्या की चिंता नहीं होती। 16 मई के रिकार्ड का उल्लेख करते हुए बताया गया कि उस दिन पांच जमानत याचिकाएं स्वीकृत हुईं जिनमें चार उनके द्वारा ही फाइल की गई थी। उनका काम हो जा रहा है तो वे आम अधिवक्ताओं की समस्या को उठाने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने बताया कि विरोध को शांत करने के लिए माननीय जिला न्यायाधीश ने उनके प्रतिनिधियों को अपने कक्ष में बुलाकर बातें की और लाकडाउन में बने गाइडलाइन के चलते जमानत सुनवाई प्रणाली में बदलाव पर असमर्थता जताई और अधिवक्ताओं को धैर्य बनाए रखने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया जिला स्तर पर अपने दायरे में पूरा प्रयास कर रहे हैं कि कोई असुविधा न हो। जिला न्यायाधीश जूनियर अधिवक्ताओं की समस्याओं से गंभीरतापूर्वक अवगत हुए। इन अधिवक्ताओं ने वकालतनामा साइन कराने से लेकर आवेदन जमा करने और मोबाइल पर सुनवाई से जुड़ी हर समस्या को रखा। जुबेनाइल मामलों को भी उठाया। बार भवन में सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन कराते हुए यथासंभव न्यूनतम संख्या में अधिवक्ताओं के बैठने की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया क्योंकि इसके बिना अधिवक्ताओं को जहां तहां धूप में खड़ा होना पड़ता है। जिला न्यायाधीश की सलाह पर अधिवक्ता शांत हो गए और अपना विरोध वापस ले लिया। कल से काम शुरू होगा।