जमशेदपुर, 15 अक्टूबर (रिपोर्टर) : नये मोटरवाहन अधिनियम के बाद लोगों में गाडिय़ों के कागजात दुरुस्त करने की जो जागरुकता अथवा दहशत पैदा हुई है, उसकारण जिला परिवहन कार्यालय पर लाइसेंस, आरसी बुक आदि कागजात के लिये भीड़ बढ़ गई है, लेकिन कार्यालय की व्यवस्था इस कदर चरमराई हुई है कि पूरा कार्यालय सिर्फ एक ही स्वनाम धन्य में बाबू के भरोसे चल रहा है. कार्यालय में एक बड़ा बाबू अशोक चौधरी हाल ही में रिटायर हो गये. तबसे यह पद भी खाली है. अनुमानत: कार्यालय में कम से कम दस बाबुओं की जगह है, जहां सिर्फ एक रजनीश बाबू के भरोसे कार्यालय चल रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए कि कार्यालय स्टेपनियों के भरोसे चल रहा है तो अतिशयोक्ति नहीं. जमशेदपुर में ट्रॉफिक का भार ज्यादा है, यहां ड्राइविंग लाइसेंस, पीए, रिन्युअल, इंडोर्समेंट आदि की संख्या भी झारखंड के अन्य जिलों की तुलना में शायद ज्यादा ही है. झारखंड में भले ही मोटरवाहन अधिनियम में दंड का प्रावधान कम किया गया है, लेकिन अक्सर सड़क पर पुलिस की जांच होती रहती है. इस जांच में फंसे लोग डीटीओ ऑफिस भागते हैं तब उनके पास एक ही मजबूरी रहती है कि दलालों की शरण में जाएं. यह दलाल खास तौर पर पाल-पोस कर रखे गये हैं, जो बिना उपरी रकम की वसूली के किसी नागरिक का कोई काम नहीं करते.
सरकार में नियुक्तियां नहीं हो रही है, उसकी जगह पर एजेंसी बहाल की गई है और इन एजेंसियों में बचेखुचे बाबु और पदाधिकारियों के लोग स्टेपनी के रुप में काम करते हैं. बाबु के रवैये और कारनामे की चर्चा इनदिनों बहुत ज्यादा हो रही है, क्योंकि वहां लोग उक्त कार्यों के लिये वसूली के नाम पर पीडि़त किये जाते हैं. जिला प्रशासन या सरकार की ओर से अगर जांच कराई जाए तो पता चलेगा ‘एक-एक स्टेपनीÓ या दलाल या बाबु की औकात कितने करोड़ों तक पहुंच चुकी है.
सरकार की तनख्वाह से शायद कोई लाखों करोड़ों का न फ्लैट खरीद सकता है न अपनी जीवनचर्या को विलासितापूर्वक बीता सकता है, लेकिन यहां के लोगों की ठाठ देखते बनती है. आम लोग लाइसेंस और आरसी के लिये परेशान हैं और लहर गिनकर बाबु मदमस्त हैं.