टेलीकॉम, बिजली, फार्मा और एग्री-इनपुट क्षेत्र पर इसका मामूली प्रभाव दिखाई देगा
नई दिल्ली 19 मई कोरोनावायरस की वजह से देश के लगभग सभी क्षेत्र गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं, जो स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है। इसके प्रभाव का गहराई से विश्लेषण करने के लिए, डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स ने ‘कोविड-19 के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के विचार’ नामक एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में इस महामारी के प्रभाव पर चर्चा की गई। रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों को अत्यधिक प्रभावित, मध्यम रूप से प्रभावित और मामूली तौर पर प्रभावित क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र पर इस महामारी के प्रभाव तथा भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि, एक तरफ एनबीएफसी , बैंकिंग, रिटेल, टेक्सटाइल, आईटी, रियल एस्टेट, ऑटो और धातु उत्पादन से जुड़े क्षेत्रों के साथ-साथ अन्य कई क्षेत्र इससे बहुत अधिक प्रभावित हो सकते हैं, तो दूसरी तरफ टेलीकॉम, बिजली, फार्मा और एग्री-इनपुट क्षेत्र केवल मामूली रूप से प्रभावित होंगे। उपभोक्ता खाद्य-पदार्थों से जुड़े क्षेत्र, मीडिया, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स / इलेक्ट्रिकल्स, केमिकल्स और इंश्योरेंस जैसे क्षेत्रों के मध्यम रूप से प्रभावित होने की संभावना है।
टेलीकॉम, बिजली, फार्मा और एग्री-इनपुट क्षेत्र कोरोनावायरस के प्रकोप से अप्रभावित रह सकते हैं
टेलीकॉम कंपनियां, मौजूदा स्थिति का सकारात्मक लाभ उठाने वाली कंपनियों में से एक के तौर पर उभर सकती हैं, क्योंकि इस दौरान पूरी दुनिया में डेटा ट्रैफ़िक में 20-30त्न की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, इस अवधि में टेलीकॉम कंपनियों के लिए सब्सक्राइबर ग्रोथ में भारी गिरावट की उम्मीद की जा रही है, लेकिन इस दौरान कंपनियों को ग्राहकों के छोडऩे की दर में कमी को भी ध्यान में रखना चाहिए।
बिजली क्षेत्र की बात की जाए, तो बिजली की पीक लोड एवं बेस लोड की मांग में 25-30त्न की गिरावट आई है। कारोबारी क्षेत्र में इसकी बड़े पैमाने पर खपत एवं कीमतों में गिरावट आई है, और सितंबर 2020 तक इसकी मांग में सुधार होने की संभावना है। ईंधन की कीमतों, विशेष रूप से कोयले की कीमतों में कमी से लाभार्जन में मदद मिलने की उम्मीद है। अगले एक साल तक मांग और आपूर्ति के बीच के संतुलन पर गहरा प्रभाव दिखाई देगा है। ष्ठस्क्कढ्ढरू को वित्त-वर्ष 2024-25 तक (इससे पहले वित्त-वर्ष 2022-23 का अनुमान लगाया गया था) बिजली आपूर्ति में कमी की उम्मीद है।
अनिवार्य सेवाओं में शामिल होने के नाते, फार्मा क्षेत्र बेहद कम बाधित हुआ है और कोविड-19 महामारी का इस क्षेत्र पर न्यूनतम प्रभाव पडऩे की संभावना है। थोड़े समय के व्यवधान के बाद चीन से कच्चे माल का आना दोबारा शुरू हो चुका है, लिहाजा इस क्षेत्र के राजस्व पर कोई बड़ा असर होने की संभावना नहीं है। ष्ठस्क्कढ्ढरू को उम्मीद है कि, अनुकूल गतिशीलता के सहारे वित्त-वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में इस क्षेत्र में मजबूत वृद्धि दिखाई देगी, जबकि मरीज के स्तर पर इन्वेंटरी में कमी की वजह से वित्त-वर्ष 2021 की पहली तिमाही में अपेक्षाकृत अल्प वृद्धि दिखाई देगी।
एग्री इनपुट भी ऐसा ही एक क्षेत्र है, जिसे आवश्यक सेवाओं के तहत वर्गीकृत किया गया है। इस क्षेत्र पर भी हल्का प्रभाव देखने को मिलेगा, क्योंकि मानसून की संभावनाएं सकारात्मक नजर आ रही हैं, साथ ही विभिन्न राज्यों और जिला अधिकारियों द्वारा लॉजिस्टिक्स को प्राथमिकता दी जाती है। अंत में, सामान्य तौर पर किसानों के लिए रबी का उत्पादन बेहतर रहा है और खरीफ के मौसम में पानी की अच्छी उपलब्धता तथा सामान्य मानसून की उम्मीद के साथ क्षेत्र के लिए भी संभावनाएं सकारात्मक हैं।
कोरोनावायरस की वजह से, मोटर वाहन और सीमेंट की मांग में वित्त-वर्ष 2022 तक सुधार होने की संभावना है
वित्त-वर्ष 19-21 की अवधि में जीडीपी वृद्धि में तेज मंदी के साथ-साथ लॉकडाउन की वजह से मांग, आपूर्ति-श्रृंखला और अर्थव्यवस्था पर हुए असर को देखते हुए, ऑटो सेक्टर में वित्त-वर्ष 2022 तक सुधार (बेहद अनुकूल आधार पर) होने की संभावना है। बहुत सी कंपनियां अब न्यूनतम मूल्य-निर्धारण पर कारोबार कर रही हैं, जिससे वित्त-वर्ष 2022 तक इस क्षेत्र में सुधार होने का उपयुक्त अवसर उत्पन्न होगा।
महामारी के बड़े पैमाने पर प्रभाव को देखते हुए, वित्त-वर्ष 2021 में सीमेंट क्षेत्र के कारोबार की मात्रा में दो अंकों की गिरावट देखी जा सकती है। पिछले कुछ समय में अतिरिक्त क्षमता बढ़ाए जाने के बावजूद, अधिकांश सीमेंट कंपनियों की बैलेंस-शीट काफी संतोषप्रद है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां अब न्यूनतम मूल्य-निर्धारण और प्रतिस्थापन लागत से नीचे कारोबार कर रही हैं, जिससे वित्त-वर्ष 2022 तक इस क्षेत्र में सुधार होने का उपयुक्त अवसर उत्पन्न होगा।
आर्थिक मंदी से विवेकाधीन व्यय में कटौती; आईटी एवं कंज्यूमर ड्यूरेबल्स/ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के क्षेत्र को नुकसान की संभावना
अतीत में आई मंदी के विपरीत, इस बार आईटी क्षेत्र में आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष, दोनों पर प्रभाव नजर आ रहा है। आईटी क्षेत्र में 30त्न व्यय को विवेकाधीन की श्रेणी में रखा जा सकता है, जिनके या तो रद्द होने या फिलहाल के लिए टाल दिए जाने की संभावना है, जबकि शेष 70त्न को मूल्य-निर्धारण के अत्यधिक दबाव (उद्योग अनुसंधान फर्म, आईएसजी के अनुसार 60त्न ग्राहकों में से 20-50त्न) का सामना करना पड़ेगा। चौथी तिमाही के दौरान, ज्यादातर आईटी सेवा कंपनियों की राजस्व वृद्धि पर मामूली प्रभाव पडऩे की संभावना है, जबकि पहली एवं दूसरी तिमाही में राजस्व में तीव्र गिरावट (मध्यम अनुमान- एक अंक की गिरावट, न्यूनतम अनुमान- दो अंक की गिरावट, साल दर साल के आधार पर) दिखाई देगी।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के क्षेत्र मेेंं बीडब्लूबी और बीडब्लूसी सेगमेंट के लिए वित्त-वर्ष 2021 की पहली छमाही में मांग के गंभीर बने रहने की उम्मीद है, जबकि रिप्लेसमेंट डिमांड की बात की जाए, जो कि बिक्री का 30त्न हिस्सा है, तो इसमें तनाव जारी रह सकता है। क्च2ष्ट सेगमेंट में तेजी से सुधार होगा, जबकि निजी पूंजीगत-व्यय के संभावित स्थगन तथा सरकार से एक क्रमिक व्यय में थोड़ी वृद्धि को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि क्च2क्च सेगमेंट को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ सकता है।
मंद आर्थिक विकास और न्यूनतम आय के पूर्वानुमान के कारण बैंकिंग और हृक्चस्नष्ट क्षेत्र पर दबाव और बढऩे की संभावना है
बैंकिंग क्षेत्र अर्थव्यवस्था की सेहत का प्रतिनिधित्व करता है, और इस क्षेत्र में ऋण में मंद वृद्धि के साथ-साथ विशेष रूप से रिटेल क्रेडिट में बुरे ऋण में बढ़ोतरी (पिछले 8 सालों में ऋण में 16त्न ष्ट्रत्रक्र की वृद्धि) दिखाई देगी। इसके अलावा कॉर्पोरेट क्षेत्र में सुधार आने में विलंब होगा, जो नोटबंदी, जीएसटी के बाढ़ से पहले ही दबाव में थे। ऋण देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों (पीएसयू बैंक, निजी बैंक और एनबीएफसी) को अब लंबी अवधि के औसत गुणकों के मानक स्तर से नीचे व्यापार करना पड़ रहा है।
सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन से रिटेल तथा टेक्सटाइल क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचेगा
निकट भविष्य में सोशल डिस्टेंसिंग से रिटेल सेक्टर पर काफी बुरा प्रभाव पडऩे की आशंका है। सभी तरह के रिटेलर्स की बात की जाए, तो इससे कपड़े के कारोबार से जुड़े रिटेलर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, और इनकी तुलना में खान-पान के कारोबार से जुड़े रिटेलर (रेस्टोरेंट्स) थोड़ी कम प्रभावित होंगे, जबकि ग्रॉसरी रिटेलर्स पर इसका सबसे कम असर होगा।
टेक्सटाइल कंपनियों के ज्यादातर ग्राहक रिटेलर होते हैं। चूंकि, लॉकडाउन के कारण कपड़े के कारोबार से जुड़े ज्यादातर रिटेलर्स अपने सिरे पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिसका असर टेक्सटाइल कंपनियों पर भी पड़ रहा है क्योंकि उनकी ओर से आर्डर में कमी आई है।