रांची ,22 फरवरी (ईएमएस): पूर्व मंत्री सरयू राय ने पलामू टाईगर रिज़र्व में पिछले दिनों हुई एक बाघिन की मौत पर सवाल उठाया है। कहा है कि वन विभाग के अधिकारी बाघिन के मौत का कारण भैंसा का हमला बता रहे हैं। जबकि जहां पर बाघिन मरी है वहां खून का एक कतरा भी नहीं मिला। भैसा के हमले में ऐसा संभव नहीं हो सकता। वन विभाग कह रहा है कि बाघिन बूढ़ी हो गई थी, उसके नाखून झड़ गये थे। जबकि मृत बाघिन का फोटो देखने से स्पष्ट है कि उसके सभी पैरों के नाखून यथावत हैं, वे झड़े नही हैं।
नाक का रंग तो गुलाबी है, फिर बूढ़ी कैसे हुई
फोटो में बाघिन की नाक का रंग गुलाबी दिख रहा है। यह उसके जवान होने का लक्षण है क्योंकि बूढ़ी बाघिन के नाक का रंग काला हो जाता है। सरयू राय ने कहा है कि इस मामले में वन के विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती है और नेशनल टाईगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के प्रावधानों के अनुरुप काम नहीं किया है। उन्होंने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने घटनास्थल का दौरा क्यों नहीं किया
चीफ वाइल्ड लाइफ ने खुद दौरा क्यों नहीं किया
सरयू राय ने अपने बयान में कहा है कि वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाईफ वार्डन ने आजतक घटनास्थल का दौरा कर मामले का स्वयं पर्यवेक्षण क्यों नहीं किया। अगर बाघिन भैंसा के हमले में मरी तो क्या वे बतायेंगे कि वन्यजीव इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण है जिसमें भैंसा ने हमला कर बाघ-बाघिन को मार डाला हो। उन्होंने कहा है कि एनटीसीए के प्रावधान के मुताबिक, बाघ-बाघिन की ऐसी मौत की जांच यह मानकर शुरू की जाती है कि यह मौत शिकारी की गोली से हुई है। जब यह सिद्ध हो जाय कि मौत शिकारी की गोली से नहीं हुई है तब मौत के अन्य कारणों की जांच होती है पर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।
बाघिन की चिता जलाने में जल्दबाजी क्यों?
उन्होंने कहा कि एनटीसीए का एक प्रावधान यह भी है कि शिड्युल -न के वन्यजीवों के मामले में मौत के बाद पोस्टमार्टम के समय एनटीसीए का एक प्रतिनिधि मौजूद रहता है जबकि एनटीसीए के प्रतिनिधि को जांच के लिए बुलाया नहीं गया। सूचना मिलने पर प्रतिनिधि पहुंचे तो देखा कि चिता जलाने की तैयारी हो रही है। सरयू राय ने यह भी सवाल उठाया कि बाघिन का शव जलाने की इतनी जल्दी वन विभाग को क्यों थी। शव को डीप फ्रीज में रखना चाहिये था ताकि एनटीसीए के अधिकारी आकर जांच करें।
सरयू राय ने वन विभाग के अफसरों द्वारा इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कराने और मामले को रफादफा करने की कोशिश करने वाले वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया आरम्भ करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। कहा है कि वन के विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती और नेशनल टाईगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के प्रावधानों के अनुरुप काम नहीं किया है। जांच के दौरान दोषी समझे जाने वाले अफसरों को भी हटाया जाए।