मुआवजा व न्याय की मांग पर मिला केस, अंधेर में भविष्य
जमशेदपुर : टाटा मोटर्स के बाईसिक्स सुरक्षा कर्मी आलोक रंजन 31 अप्रैल को अपने उपर तेल छिड़ककर आग लगाने से 5 मई को मौत हो गयी थी. पति के आत्मदा के लिए कंपनी के अधिकारी सुरक्षा प्रमुख विशाल कुमार व विभागित प्रमुख आरके सिंह पर रात ड्युटी में जानबूझकर बुलाने के बहाने उसके यौन शोषण का आरोप लगा चुकी है. नीतू का कहना है कि अधिकारियों के प्रताडऩा के कारण आलोक आत्मदाह को मजबूर हुए. हालांकि आरोपियों ने आरोप को खारिज कर दिया था. दिवंगत आलोक की विधवा नीतू ङ्क्षसह आज भी मुआवजा व न्याय दिलाने को लेकर अंधेरे भविष्य के गर्त में ठोकरे खा रही है. बताया गया कि आत्महत्या मामले में ग्रुप एंशुरेंस से कर्मचारियों को मिलने वाला करीब 30 लाख नही मिल सकता है. लेकिन कंपनी के सुरक्षा विभाग की ओर से सहानुभूति के तहत उसके घर जाकर पहल करने का प्रयास हुआ, परंतु कुछ लोगों के गुमारह कारने से नीतू ने उसे ठुकरा दिया. यहीं से उसके शोषण, गुमराह होने का खेल शुरु हो जाता है. माना जाता है कि टाटा मोटर्स से बर्खास्त नेतागण तथा कंपनी प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले नेता एकजूट हो गये. शुरु में दिखने में तो लगा कि वाकई ये नेतागण उसे मुआवजा दिलाने के लिए प्रयास कर रहे है, परंतु ऐसा नही था. नीतू इन नेताओं के झांसे में आकर कंपनी के खिलाफ चलने लगी. एक-एक दिन बीतने के साथ ही कंपनी के खिलाफ इन नेताओं के साथ कई और भी जुडऩे लगे. नीतु के बहाने ये नेतागण अपनी दुश्मनी निकालने लगे. जानकार बतातें है कि शांतिपूर्ण आंदोलन में बहुत शक्ति होती है जो एक दिन मुकाम तक जरुर पहुंचती है. परंतु हिंसात्मक आंदोलन एक बम की तरह होती है जिसमें बिना कुछ प्राप्त के उसी दिन समाप्त हो जाती है. बाकि काम पुलिस के हवाले हो जाती है. जैसा 9 मई को टाटा मोटर्स गेट पर किन्नर द्वारा किये गये प्रदर्शन के दिन देखने को मिला.
हिंसात्मक प्रदर्शन में सभी आरोपियों पर केस
9 मई को पूर्व नियोजित कार्यकरम के तहत अप्पु तिवारी के अगुवाई में किन्नरों के साथ नीतू मुआवजा व न्याया दिलाने की मांग पर कंपने के मेनगेट पर पहुंची. जबरन गेट के अंदर घुसने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने उसे निकाल दिया. इसके बाद किन्नरों ने जमकर उग्र व अद्र्धनग्न प्रदर्शन किया. मामले में तीन केस दर्ज किये गये. इसमें नीतू सिंह के तरफ से कंपनी के अज्ञात सुरक्षाकर्मियों पर तथा कंपनी प्रबंधन की ओर से नीतू सिंह, नवनीत कुमार, अप्पु तिवारी, भाजपा नेता अंकित आनंद, बर्खास्त कर्मी हर्षबद्धन, बख्र्रास्त नेता प्रकाश कुमार व अन्य पर कई धारा के तहत केस दर्ज किया गया.
यूनियन महामंत्री के उपेक्षा से भड़की नीतू
घटना के कई दिनों बाद न्याय व मुआवजा की मांग को लेकर कंपनी के मान्यता प्राप्त टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के महामंत्री आरके सिंह के आवास पर धरना देने पहुंची. लेकिन बताया जाता है कि यह विरोधियों की ही साजिश रही. नीतू को आश्वासन के जगह वहां भी उपेक्षा ही मिली.
एसएसपी से लेकर डीआईजी तक शिकायत
नीतू के कथित समर्थकों ने डीआईजी से लेकर एसएसपी तक शिकायत करायी. जांच के बाद अधिकारियों पर केस भी दर्ज किया गया. गिरफ्तारी की मांग लेकर एक बार फिर उसके समर्थक सक्रिय हो गये. परंतु जांच के बाद गिरफ्तारी के आश्वासन पर एतबार ना करते हुए अविलंब गिरफ्तारी के जाल बिछने लगे. गिरफ्तारी तो दूर अब नीतू समेत उनके सभी समर्थक केस खकर बैक हो रहे हैं.
किन्नरों के नीतू का साथ छोडऩे पर उठे कई सवाल
आलोक की बिधवा नीतू ने टाटा मोटर्स कंपनी प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उनके समर्थन और न्याय दिलाने वालों को डराया जा रहा है. धनबल और बाहुबल से लोगों को खऱीदने की ताबड़तोड़ कोशिशें हो रही है ताकि किसी तरह अभियुक्तों की अग्रिम जमानत हो जाये. इस मामले में पूर्वी के विधायक समर्थकों द्वारा किये जा रहे सोशल मीडिया पर अपमानजनक बयान पर भी नीतू ङ्क्षसह ने गहरा दु:ख जताया. कहा कि खुद को कथित रूप से विधायक का समर्थक बताने वाले अमित शर्मा, ऋषि पांडेय, राकेश ङ्क्षसह सहित अन्य सोशल मीडिया पर उन्हें गलत बताकर चरित्र हनन और मीडिया ट्रायल कर रहे हैं. विधवा ने कहा कि मंगलवार को धरना में समर्थन देने के लिए शामिल हुई किन्नरों में से कईयों को पैसे देकर बयान बदलने का दबाव बनाया गया है। कईयों को डराया गया है. आरोप लगाया कि टाटा मोटर्स के सुरक्षा अधिकारी विशाल ङ्क्षसह, रजत ङ्क्षसह के अलावे रामनारायण शर्मा, अमित शर्मा, ऋषि पांडेय और गुरमीत ङ्क्षसह तोते के बेटों द्वारा किन्नरों पर बयान से पलटने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का दबाव बनाया गया. इस मामले में सिटी एसपी से जांच की मांग की गयी. कहा कि किन्नरों से पूछताछ होनी चाहिए कि किनके दबाव में 12 घंटों के अंदर ही बयान से पलटने की मजबूरी आन पड़ी.
प्रबंधन का दबाव अथवा पुलिस की गिरफ्तरी से डरे किन्नर
नीतू के आंदोलन के समर्थन में उतरे किन्नरों ने टाटा मोटर्स गेट पर एतिहासिक शर्मनाक आंदोलन किया था. इस पर टेल्को पुलिस पूरी तरह खिसिया गयी. पुलिस की किरकिरी से आहत थाना प्रभारी अखिलेश्वर मंडल ने गेट प्रदर्शन में शामिल सभी पर तगड़ा केस कर दिया. बताया जाता है कि सभी आरोपी टाटा मोटर्स प्रबंधन के पुराने विरोधी बताये जाते हैं, जिसका मौका देख प्रबंधन ने केस में नाम डलवा दिया. हालांकि इसकी जांच जारी है. पुलिस के अनुसार सभी आरोपी जल्द पुलिस के शिकंजे में होंगे.