नया साल उम्मीदों का नया सवेरा भी लेकर आ रहा है. खासकर कोरोना के आतंक से डरे-सहमे लोगों को नए साल में वैक्सीन मिलने की उम्मीद है. 2020 में मार्च से लेकर दिसंबर तक की कोरोना से लड़ाई बिना हथियार के लड़ी गई है. अर्थात बीमारी महामारी के रूप में सामने थी और इलाज के नाम पर कोई दवा नहीं. बावजूद इसके झारखंड ने इसे परास्त करने में बहुत हद तक सफलता पाई है. मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के स्थापना दिवस पर खुद कहा कि बीमार अस्पतालों के सहारे कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी गई. अब नए साल में उम्मीद की जानी चाहिए कि दवाई होगी लेकिन ढिलाई नहीं होगी.
दूसरी सबसे बड़ी समस्या पलायन और कुपोषण की है. पलायन रोकना राज्य सरकार के बूते की बात है क्योंकि रोजी-रोजगार की झारखंड में असीम संभावनाएं हैं. बाहर के लोग यहां रोजी पाने आते हैं लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि बड़ी संख्या में यहां के लोग रोजी-रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं जबकि देश की 40 फीसदी खनिज संपदा झारखंड में है. मेहनती और ईमानदार मानव संसाधन इस राज्य में हैं जो दूसरे राज्यों में जाकर खुशहाली की इमारत खड़ी करते हैं. इन्हें अगर अवसर मिले तो अपने राज्य को खुशहाल क्यों नहीं कर सकते. दुनिया भर की निगाहें यहां की खनिज संपदा पर रहती हैं लेकिन मंशा सिर्फ लूट-खसोट वाली होती है. सरकार अगर केवल उन्हीं निवेशकों को यहां के संसाधन के उपयोग की छूट दे जो यहां उद्योग लगाकर स्थानीय लोागें को रोजी-रोजगार दें तो पलायन भी रुकेगा और घर में जब खुशहाली आएगी तो कुपोषण भी दूर होगा.
राज्य के विभिन्न विभागों में हजारों पद रिक्त हैं. जब भी बहाली शुरू होती है, कोई न कोई लफड़ा खड़ा हो जाता है. सोचिए नया राज्य बने 20 साल हो गए लेकिन अभी तक छठी जेपीएससी परीक्षा ही पूरी हो पाई है. यह पूर्ववर्ती सरकारों की सोच और कार्य कुशलता पर सवाल खड़े करती है. हालांकि स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि वे कैलेंडर बनाकर जनवरी से नियुक्तियां करेंगे. सरकारी स्तर पर 40 हजार से अधिक रिक्तियां हैं जिनमें से 20 हजार रिक्तियों को लेकर कर्मचारी चयन आयोग को अनुशंसा भी भेज दी गई है. इसके अलावा कई विभागों की अनुशंसाएं प्राप्त हो रही हैं. सरकार ने रोजगार को अपनी प्राथमिकताओं में रखा है और इसी आधार पर बहाली के रास्ते खुलने की उम्मीदें की जा रही हैं.
तीसरी बात, उद्योग, व्यापार, शिक्षा और चिकित्सा का माहौल तभी बनेगा जब राज्य में अमन-चैन होगा और विधि व्यवस्था ठीक रहेगी. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा. इसके लिए पुलिस महकमे में बड़े सुधार और प्रशिक्षण की जरूरत है. भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग तो शुरू है लेकिन अपराध के बदलते तौर-तरीकों के अनुसार हमारी पुलिस तैयार नहीं की जा रही है. उम्मीद की जानी चाहिए कि नया साल 2021 यह काम हमारे मुख्यमंत्री से करा पाने में सफल होगा.
यह खुशी की बात है कि बीते वर्षों में स्कूलों और विश्वविद्यालयों की संख्या काफी बढ़ी है. नतीजतन साक्षरता दर 54 फीसदी से बढ़कर 81 फीसदी पर पहुंच गई है. यह अलग बात है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है. यह काम भी होगा और अपेक्षा की जानी चाहिए कि जमशेदपुर से बहरागोड़ा तक हाइवे के किनारे को एजुकेशन हब के रूप में विकसित किया जा सकेगा. वैसे कोरोना ने शिक्षा के माहौल को पूरी तरह चौपट कर रखा है लेकिन कोरोना हटेगा और नूतन ऊर्जा के साथ यह काम भी पूरा होगा. हालांकि यह काम एक साल का तो है नहीं लेकिन जिस तरह से इलाके में शैक्षिक संस्थान बनते जा रहे हैं, सरकार चाहेगी तो आने वाली नई संस्थाओं को यहां आबाद किया जा सकेगा. और सबसे बड़ी बात यह कि प्रदेश के लोग नए साल में आपसी सौहाद्र्र और भाईचारे के साथ मिलजुलकर रहेंगे तथा झारखंड की खुशहाली के लिए काम करेंगे. सभी को नए साल की शुभकामनाएं.