जमशेदपुर, 11 नवंबर (रिपोर्टर): मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज, बारीडीह जमशेदपुर को अंतिम समय में मनमाने ढंग से मेडिकल अंडर ग्रुेजुयेेट काउंसलिंग में भाग लेने से रोक देने पर कॉलेज ने आज उच्च न्यायालय, रांची में याचिका दायर कर इस आदेश को रद्द करने की मांग की. उच्च न्यायालय में यह याचिका आज डब्ल्यूपीसी/ 3588/2020 रजिस्टर्ड कर ली गई. हाई कोर्ट ने इस याचिका पर कल सुनवाई निर्धारित कर दी है।
गत 6 नवंबर को भारत सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय की मेडिकल काउंसलिंग कमिटी के ए.डी.जी (एमई) के आदेश से अचानक यह सूचना जारी की गयी कि नीट के सफल परीक्षार्थियों के लिए पहले राउंड की काउंसलिंग से इस कॉलेज को बाहर कर दिया गया है, जबकि उसी दिन काउंसलिंग शुरू हुई थी. एम सी आई/एन एम सी द्वारा 150 सीटों पर नामांकन हेतु अनुमति पत्र प्राप्त होने तथा उससे संबंधित सभी प्रक्रियाओं को कॉलेज प्रबंधन द्वारा अपने स्तर से पूरा किए जाने के बावजूद बिना कोई स्पष्ट कारण बताए जारी किए गए इस आदेश से सभी छात्र और कॉलेज स्थापना में लगा मणिपाल और टाटा स्टील का संघ, झारखंड सरकार एवं इससे लाभांवित होने वाले तमाम लोग भौंचक हो गए.
यहां उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार दरा नवस्थापित अन्य तीन नए मेडिकल कॉलेजों पलामू, दुमका एवं हजारीबाग में भी इस वर्ष नामांकन प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है. उक्त तीन सरकारी कॉलेजों में 100-100 सीटों पर पिछले साल से नामांकन शुरू हो गया था. मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज, बारीडीह में 150 सीटों पर इस साल से नामांकन की सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. इस प्रकार झारखंड में 2024-25 से हर साल पढ़कर तैयार होने वाले 450 डाक्टरों की संभावना पर ग्रहण लग गया है जबकि यह क्षेत्र अत्यंत पिछड़ा हुआ और स्वास्थ्य सुविधाओं से मरहूम आदिवासी बहुल है.
भारत सरकार के मानव संसाधन विभाग (एम एच आर डी/ शिक्षा) में सचिव झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे हैं बावजूद इसके झारखंड में मेडिकल शिक्षा के विकास में अंतिम समय में यह अवरोध लग गया. श्री खरे की धर्मपत्नी आईएएस श्रीमती निधि खरे ने जब झारखंड में स्वास्थ्य सचिव थीं, मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज समेत अन्य मेडिकल कॉलेजों को शुरू कराने में निजी दिलचस्पी लेती हुई पहल की थीं और वे नियमित रूप से स्थापना कार्यों की समीक्षा करती थीं. काउंसलिंग के ऐन वक्त पर बिना किसी पूर्व सूचना और कारण बताए एकतरफा काउंसलिंग रोक को नैसर्गिक एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के प्रतिकूल बताते हुए कॉलेज ने अपनी याचिका में सारी प्रक्रियाओं को पूरा करने का दस्तावेज संलग्न किया है और इस आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित और रद्द करने की मांग की है ताकि 18 नवंबर से प्रारंभ होने वाली दूसरे राउंड की काउंसलिंग में कॉलेज को शामिल होने का मौका मिल सके.
बारीडीह के इस मेडिकल कॉलेज के साथ मणिपाल जैसे नामी शिक्षण संस्थान के मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (माहे) और टाटा स्टील का नाम जुड़ा हुआ है जिसकी अपनी ख्याति है. दोनों संस्थाओं ने मिलकर संघ (कंर्सोटियम) बनाया जिसका नेतृत्वकर्ता ‘माहेÓ और टाटा स्टील उसका सदस्य है. प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप पी पी मोड पर मेडिकल शिक्षा में यह कॉलेज देश में अपने ढंग को अनूठा कॉलेज होने वाला है. मणिपाल यूनिवर्सिटी ऑफ इमिनेंस डिम्ड टू बी यूनिवर्सिटी है और ऐसे यूनिवर्सिटी ऑफ इमिनेंस को प्राइवेट सेक्टर में कन्सोर्टियम बनाकर मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट है.
इस कालेज में मणिपाल ने 25 सीट झारखंड राज्य के छात्रों के लिए राज्य सरकार को सद्भावना के तौर पर आवंटित किया है जिसमें नामांकित होने वाले आरक्षित कोटे से बच्चों को 50 प्रतिशत छात्रवृति एवं सामान्य श्रेणी के बच्चों को मेरिट कम मिन्स स्कालरशिप स्कीम के तहत छात्रवृति का प्रावधान किया गया है. इस कालेज ने अन्य प्राइवेट कॉलेजों की तुलना में अपनी फीस भी लगभग 14.30 लाख प्रतिवर्ष रखी है जबकि अन्य कॉलेजों में 20 से 22 लाख रुपया प्रतिवर्ष फीस है. यहां 983 शैय्याओं वाला टीएमएच टीचिंग अस्पताल के रूप में अटैच है. इस स्तर का अस्पताल प्राइवेट कॉलेजों को इस क्षेत्र में नसीब नहीं. अन्य अंतर संरचानत्मक सुविधाएं भी बेजोड़ बनाई गई है. फैकल्टी को लेकर कोई कमी नहीं है. एमसीआई के इंस्पेक्टरों ने दो बार बारीडीह कॉलेज का निरीक्षण किया और तब उसे एलओपी निर्गत किया गया था. अचानक काउंसलिंग के पहले राउंड से इस कॉलेज को बाहर किए जाने का कारण कोई समझ नहीं पा रहा.