रांची, 1 मार्च : विधायक सरयू राय ने दो ज्वलंत घटनाओं में सरकारी अधिकारियों के लीपापोतीवाले रवैये और सच को झूठ साबित करने की कार्रवाई का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार जबतक ऐसे गलत बयानी करनेवाले अधिकारियों पर अंकुश नहीं लगाती, उसकी घोषणानएं सरजमीं पर कैसे उतरेंगी. विधायक ने आज विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान यह बातें कही. उन्होंने कहा कि सरकार ने अभिभाषण में अपनी इच्छाएं व्यक्त की है, जो सुनने में अच्छा लगता है, परंतु जब विधानसभा में प्रश्नों का उत्तर देते समय सरकार के अधिकारी असत्य एवं गलत तथ्य प्रस्तुत करते हैं तो कैसे भरोसा किया जाए कि वे सरकार की इच्छाओं को शासन प्रशासन के माध्यम से तय लक्ष्य तक पूरा करेंगे. विधायक ने गत 10 अप्रैल, 2016 को सीतारामडेरा थाना मेें पत्रकारों एवं छायाकारों की पुलिस द्वारा पिटाई की घटना को नकारने का जिक्र किया. विधायक ने आज ही अपना प्रश्न किया था कि क्या 10 अप्रैल को उस तरह की घटना हुई थी, जिसे अधिकारियों ने नकार दिया.
इसी तरह निखार सबलोक द्वारा सीतारामडेरा थाना क्षेत्र में निर्माण कार्य में उससे रंगदारी मांगने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसपर पुलिस ने प्राथमिक अभियुक्त पवन अग्रवाल के विरुद्ध अंतिम प्रतिवेदन असत्य बताकर समर्पित कर दिया. विधायक ने कहा कि इस पिटाई कांड की जांच उपायुक्त से कराने का आदेश गृह सचिव ने उपायुक्त को सात बार निर्देश देकर जारी किया, लेकिन जांच अभीतक लंबित है जबकि अधिकारियों ने अपने उत्तर में बता दिया है कि एडीएम द्वारा जांच कराई गई जिसमें पाया गया कि एक युवक की गिरफ्तारी पर सीतारामडेरा थाना में कतिपय लोगों द्वारा हो-हल्ला किया जा रहा था और पुलिस ने शांति बहाल करने की निमित्त हल्का बल प्रयोग किया था. अधिकारियों ने जमशेदपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष एवं संयोजक कोर कमिटी श्री श्रीनिवास का हवाला देते हुए लिखा कि उन्होंने इस शिकायत को वापस लेने का अनुरोध किया था. उल्लेखनीय है कि पत्रकारों पर लाठी चार्ज पर तत्कालीन एसएसपी अनूप टी मैथ्यू ने पत्र जारी कर खेद व्यक्त किया था और दोषी इंसपेक्टर का लिखित निंदन करते हुए पुलिस अधिकारियों के लिये पत्रकारों से व्यवहार करते समय कुछ गाइडलाइन जारी किये थे. यह मामला बहुत सुर्खियों में आया था क्योंकि प्राथमिक अभियुक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि थे.
विधायक ने दूसरा उदाहरण 10 फरवरी, 2011 को नोवामुंडी स्थित बोकारो साइडिंग से सात हजार टन लौह अयस्क चोरी का दिया जिसमें वहां के खनन पदाधिकारी ने नोवामुंडी थाना में मामला दर्ज कराया था. 10 साल बीत जाने के बाद भी मामले का अनुसंधान एक कदम आगे नहीं बढ़ा लेकिन सरकार ने आज विधानसभा में उनके सवाल के जवाब में बताया कि खान विभाग के अधिकारी इस मामले में सहयोग नहीं कर रहे हैं. जानकारियां नहीं दे रहे हैं, यहां तक कि इस मामले में विधानसभा समिति की जांच का प्रतिवेदन भी पुलिस को नहीं दे रहे हैं. विधायक ने सवाल किया कि जब सरकार का बायां हाथ दायें हाथ को सहयोग नहीं कर रहा है तो उसकी घोषणाओं का क्या होगा?